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Welcome Note स्वागत लेख

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दोस्तों webpandithindi की दुनिया में आपका स्वागत है। वेब पण्डित के माध्यम से मैं आपको पाण्डित्य के नए रूप से परिचित कराना चाहूँगा, आशा है...

रविवार, 15 नवंबर 2020

नक्षत्रों के स्वामी व वैदिक मंत्र

नक्षत्रों के स्वामी व वैदिक मंत्र

हमारे वैदिक ज्योतिष में महत्वपूर्ण  27 नक्षत्रों के वेद मंत्र निम्नलिखित हैं :

1-अश्विनी नक्षत्र वैदिक मंत्र

ॐ अश्विनौ तेजसाचक्षु: प्राणेन सरस्वती वीर्य्यम वाचेन्द्रो

बलेनेन्द्राय दधुरिन्द्रियम । ॐ अश्विनी कुमाराभ्यो नम: ।

2-भरणी नक्षत्र वैदिक मंत्र

ॐ यमायत्वा मखायत्वा सूर्य्यस्यत्वा तपसे देवस्यत्वा सवितामध्वा

नक्तु पृथ्विया स गवं स्पृशस्पाहिअर्चिरसि शोचिरसि तपोसी।

3-कृतिका नक्षत्र  वैदिक मंत्र

ॐ अयमग्नि सहत्रिणो वाजस्य शांति गवं

वनस्पति: मूर्द्धा कबोरीणाम । ॐ अग्नये नम: ।

4-रोहिणी नक्षत्र वैदिक मंत्र

ॐ ब्रहमजज्ञानं प्रथमं पुरस्ताद्विसीमत: सूरुचोवेन आव: सबुधन्या उपमा

अस्यविष्टा: स्तश्चयोनिम मतश्चविवाह ( सतश्चयोनिमस्तश्चविध: )

ॐ ब्रहमणे नम: ।

5-मृगशिरा नक्षत्र वैदिक मंत्र

ॐ सोमधेनु गवं सोमाअवन्तुमाशु गवं सोमोवीर: कर्मणयन्ददाति

यदत्यविदध्य गवं सभेयम्पितृ श्रवणयोम । ॐ चन्द्रमसे नम: ।

6-आर्द्रा नक्षत्र वैदिक मंत्र

ॐ नमस्ते रूद्र मन्यवSउतोत इषवे नम: बाहुभ्यां मुतते नम: ।

ॐ रुद्राय नम: ।

7-पुनर्वसु नक्षत्र वैदिक मंत्र

ॐ अदितिद्योरदितिरन्तरिक्षमदिति र्माता: स पिता स पुत्र:

विश्वेदेवा अदिति: पंचजना अदितिजातम अदितिर्रजनित्वम ।

ॐ आदित्याय नम: ।

8-पुष्य नक्षत्र वैदिक मंत्र

ॐ बृहस्पते अतियदर्यौ अर्हाद दुमद्विभाति क्रतमज्जनेषु ।

यददीदयच्छवस ॠतप्रजात तदस्मासु द्रविण धेहि चित्रम ।

ॐ बृहस्पतये नम: ।

9-अश्लेषा नक्षत्र वैदिक मंत्र

ॐ नमोSस्तु सर्पेभ्योये के च पृथ्विमनु:।

ये अन्तरिक्षे यो देवितेभ्य: सर्पेभ्यो नम: ।

ॐ सर्पेभ्यो नम:।

10-मघा नक्षत्र वैदिक मंत्र

ॐ पितृभ्य: स्वधायिभ्य स्वाधानम: पितामहेभ्य: स्वधायिभ्य: स्वधानम: ।

प्रपितामहेभ्य स्वधायिभ्य स्वधानम: अक्षन्न पितरोSमीमदन्त:

पितरोतितृपन्त पितर:शुन्धव्म । ॐ पितरेभ्ये नम: ।

11-पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र वैदिक मंत्र

ॐ भगप्रणेतर्भगसत्यराधो भगे मां धियमुदवाददन्न: ।

भगप्रजाननाय गोभिरश्वैर्भगप्रणेतृभिर्नुवन्त: स्याम: ।

ॐ भगाय नम: ।

12-उत्तराफालगुनी नक्षत्र वैदिक मंत्र

ॐ दैव्या वद्धर्व्यू च आगत गवं रथेन सूर्य्यतव्चा ।

मध्वायज्ञ गवं समञ्जायतं प्रत्नया यं वेनश्चित्रं देवानाम ।

ॐ अर्यमणे नम: ।

13-हस्त नक्षत्र वैदिक मंत्र

ॐ विभ्राडवृहन्पिवतु सोम्यं मध्वार्य्युदधज्ञ पत्त व विहुतम

वातजूतोयो अभि रक्षतित्मना प्रजा पुपोष: पुरुधाविराजति ।

ॐ सावित्रे नम: ।

14- चित्रा नक्षत्र वैदिक मंत्र

ॐ त्वष्टातुरीयो अद्धुत इन्द्रागी पुष्टिवर्द्धनम ।

द्विपदापदाया: च्छ्न्द इन्द्रियमुक्षा गौत्र वयोदधु: ।

त्वष्द्रेनम: । ॐ विश्वकर्मणे नम: ।

15- स्वाती नक्षत्र वैदिक मंत्र

ॐ वायरन्नरदि बुध: सुमेध श्वेत सिशिक्तिनो

युतामभि श्री तं वायवे सुमनसा वितस्थुर्विश्वेनर:

स्वपत्थ्या निचक्रु: । ॐ वायव नम: ।

16- विशाखा नक्षत्र वैदिक मंत्र

ॐ इन्द्रान्गी आगत गवं सुतं गार्भिर्नमो वरेण्यम ।

अस्य पात घियोषिता । ॐ इन्द्रान्गीभ्यां नम: ।

17- अनुराधा नक्षत्र वैदिक मंत्र

ॐ नमो मित्रस्यवरुणस्य चक्षसे महो देवाय तदृत

गवं सपर्यत दूरंदृशे देव जाताय केतवे दिवस्पुत्राय सूर्योयश

गवं सत । ॐ मित्राय नम: ।

18- ज्येष्ठा नक्षत्र वैदिक मंत्र

ॐ त्राताभिंद्रमबितारमिंद्र गवं हवेसुहव गवं शूरमिंद्रम वहयामि शक्रं

पुरुहूतभिंद्र गवं स्वास्ति नो मधवा धात्विन्द्र: । ॐ इन्द्राय नम: ।

19- मूल नक्षत्र वैदिक मंत्र

ॐ मातेवपुत्रम पृथिवी पुरीष्यमग्नि गवं स्वयोनावभारुषा तां

विश्वेदैवॠतुभि: संविदान: प्रजापति विश्वकर्मा विमुञ्च्त ।

ॐ निॠतये नम: ।

20- पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र वैदिक मंत्र

ॐ अपाघ मम कील्वषम पकृल्यामपोरप: अपामार्गत्वमस्मद

यदु: स्वपन्य-सुव: । ॐ अदुभ्यो नम: ।

21- उत्तराषाढ़ा नक्षत्र वैदिक मंत्र

ॐ विश्वे अद्य मरुत विश्वSउतो विश्वे भवत्यग्नय: समिद्धा:

विश्वेनोदेवा अवसागमन्तु विश्वेमस्तु द्रविणं बाजो अस्मै ।

22- श्रवण नक्षत्र वैदिक मंत्र

ॐ विष्णोरराटमसि विष्णो श्नपत्रेस्थो विष्णो स्युरसिविष्णो

धुर्वोसि वैष्णवमसि विष्नवेत्वा । ॐ विष्णवे नम: ।

23- धनिष्ठा नक्षत्र वैदिक मंत्र

ॐ वसो:पवित्रमसि शतधारंवसो: पवित्रमसि सहत्रधारम ।

देवस्त्वासविता पुनातुवसो: पवित्रेणशतधारेण सुप्वाकामधुक्ष: ।

ॐ वसुभ्यो नम: ।

24- शतभिषा नक्षत्र वैदिक मंत्र

ॐ वरुणस्योत्त्मभनमसिवरुणस्यस्कुं मसर्जनी स्थो वरुणस्य

ॠतसदन्य सि वरुण स्यॠतमदन ससि वरुणस्यॠतसदनमसि ।

ॐ वरुणाय नम: ।

25- पूर्वभाद्रपद नक्षत्र वैदिक मंत्र

ॐ उतनाहिर्वुधन्य: श्रृणोत्वज एकपापृथिवी समुद्र: विश्वेदेवा

ॠता वृधो हुवाना स्तुतामंत्रा कविशस्ता अवन्तु ।

ॐ अजैकपदे नम:।

26- उत्तरभाद्रपद नक्षत्र वैदिक मंत्र

ॐ शिवोनामासिस्वधितिस्तो पिता नमस्तेSस्तुमामाहि गवं सो

निर्वत्तयाम्यायुषेSत्राद्याय प्रजननायर रायपोषाय ( सुप्रजास्वाय ) ।

ॐ अहिर्बुधाय नम: ।

27- रेवती नक्षत्र वैदिक मंत्र

ॐ पूषन तव व्रते वय नरिषेभ्य कदाचन ।

स्तोतारस्तेइहस्मसि । ॐ पूषणे नम: ।

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मंगलवार, 10 नवंबर 2020

पञ्चतत्व उत्तम वैदिक धूनी

 पञ्चतत्व उत्तम वैदिक धूनी

गुग्गुल, चन्दन, लोबान अगर-तगर,छरीला, जटामांसी आदि 21 जड़ी बूटियों का उत्तम अनुपातिक मिश्रण।

हर तरह की नकारात्मक ऊर्जा और वास्तु दोष आदि के शमन हेतु।

For mitigation of all types of negative energy and Vastu dosha etc.

प्रयोग विधि:-1-एक चुटकी धूनी को साधारणतया धूपबत्ती में मिलाकर या धूपबत्ती के ऊपर रखकर जलाएं

2-घर /कार्यालय/कारखाने में किसी पात्र में कोयला या गाय के गोबर से बना उपला या कण्डा जलाकर उसमे पाँच चुटकी धूनी की छोड़े, और उसका धुंआ सारे परिसर में फैलने दें।

3-यदि कोयला या उपला जलाना सम्भव न हो तो इलेक्ट्रिक धूपदानी का प्रयोग करें।

4-सूर्योदय और सूर्यास्त के समय नियमित पाँच आहुतियाँ देना अत्यंत लाभदायक सिद्ध होता है।

5-अक्सर देखा गया है कि सामान्य व्यक्ति पर दोनों पक्षों की त्रयोदशी, चतुर्दशी और अमावस्या व पूर्णिमा तिथियों को मनः स्थिति असमान्य हो जाती है।यदि उनके जन्म पत्रिका में चन्द्रमा पीड़ित/कमजोर/राहु आदि ग्रहों से युक्त हो तो यह और अधिक प्रभावित करता है।ऐसे लोगों के लिए यह खास तैयार किया गया एक योग है।उन्हें इसका निरंतर प्रयोग करना चाहिए।

लाभ:- इससे नकारात्मक ऊर्जा घर से बाहर निकल जाती है।

घर में बरकत (समृद्धि) आती है तथा पैसों की कमी नहीं रहती है।

नजर, व्यापार बन्ध आदि दोषों से छुटकारा मिलता है।

ग्रह नक्षत्रों से होने वाले छिटपुट बुरे प्रभाव दूर हो जाते हैं।

मन को शांति और प्रसन्नता प्राप्त होती है साथ ही मानसिक तनाव और थकावट दूर होती है।

बुधवार, 25 सितंबर 2019

नवरात्र 2019 Navratra 2019

            शारदीय नवरात्र 2019

       Sharadiya Navratri 2019


शारदीय नवरात्र 29 सितम्बर 2019 दिन रविवार से प्रारम्भ हो रहे हैं।कलश स्थापन प्रातःकाल से लेकर पूरे दिन किसी भी समय किया जा सकता है।तथा अभिजित मुहूर्त दिन में 11/35 से लेकर 12/25 तक विशेष माना गया है।
शक्तिस्वरूपा जगतजननी के नवो स्वरूपों के लिए निर्धारित नवदिन का नवरात्र सनातनियों के लिए शक्ति और ऊर्जा का स्रोत माना जाता है।
जगदम्बा की शारदीय नवरात्र में स्थापना कर पूजा अर्चना सभी गृहस्थों की मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाली होती है।

तथा दुर्गा पूजा समितियाँ पण्डालों में भगवती की स्थापना कर भगवती की विशेष कृपा के भागी बनते हैं।भगवान राम द्वारा रावण वध के लिए की गई त्रिदिवसीय शक्ति पूजा को आधार मानकर बंगीय परम्परा से निःसृत इस पूजा पद्धति में सप्तमी तिथि में देवी की स्थापना की जाती है जो तीन दिन तक चलती है।
सप्तमी तिथि के दिन से ही देवी के आगमन का विचार होता है।तदनुसार इस वर्ष देवी का आगमन तुरंग अथवा अश्व पर हो रहा है जिसका फल नेष्टकारक है।
महाष्टमी का मान 6 अक्टूबर रविवार को होगा।
महानवमी 7 अक्टूबर सोमवार को होगी।नवमी तिथि पर्यन्त दिन में 3 बजकर5 मिनट तक नवरात्र से संबंधित दुर्गा सप्तशती पाठ एवं हवन कर नवरात्र अनुष्ठान संपन्न कर लिया जाएगा।
चूँकि दिन में ही नवमी तिथि समाप्त हो जा रही है इसलिए पूरे नवरात्र भर व्रत वाले व्रती आज ही 03/05pm के बाद पारण कर सकते हैं।

शुक्रवार, 3 अगस्त 2018

पाण्डित्य और ज्योतिष क्या एक मिथक है? Punditya and astrology is a myth?

जैसा कि पिछले Welcome Note स्वागत लेख में मैंने चर्चा की कि किस तरह हम अपने लिए सर्व समर्थ मार्गदर्शक की खोज में लगे रहते हैं और सब कुछ उसी के ऊपर छोड़ देना चाहते हैं।
जी हाँ, मै उन सभी महानुभाव से पूछना चाहता हूँ कि क्यों लोग डरकर अनुष्ठान(Ritual) संपन्न करते हैं, क्यों अपने बच्चों की जन्मपत्री बदलकर विवाह का मिलान कराते हैं?क्यों सब कुछ ग्रहों पर छोड़ देते हैं।
आखिर ऐसा करते क्यों  हैं लोग?क्या वो अपने भविष्य को नही समझ पाते या अपने बच्चों से ऊब जाते हैं?
खासकर लड़कियों से और कुछ लोग तो लड़कों के मामले में भी धैर्य धारण नहीं कर सकते।
और इन्ही सब बातों का फायदा आजकल गुरु लोग उठाते हैं।चूँकि हमारा दिमाग दूसरे के विचारों से सम्प्रेषित होता है ( Our brain is communicated with the thoughts of others) अतः हमें अन्त तक पता नही चल पाता कि हमारी समस्या(Problem) क्या है?
और हमारी psychological dealing होने लगती है।
हमारा बहुत सारा धन और समय नष्ट हो जाता है, अन्त में हम अपने-आप को वहीं खड़ा पाते हैं जहाँ से हमने शुरू किया था।
आजकल पाण्डित्य और ज्योतिष की दुकानें जगह-जगह पर सजी हुई हैं।सब अपने अनुसार जातकों की समस्या का समाधान करते हैं, उनमें कुछ लोग मुफ्त के नाम पर कुछ धर्म के नाम पर तो कुछ लोक कल्याण के नाम पर समस्या समाधान करते हैं।
अब इनमें धर्म आदि के नाम पर या सशुल्क सेवा तक ठीक है ये लोग कुछ हदतक शास्त्रों के निर्देश का पालन करने की कोशिश करते हैं।लेकिन मुफ्त के नाम पर जो सेवा करते हैं वो तो और भी खतरनाक हैं क्योंकि वो तो पूरा विधान ही अपने अनुसार रचते हैं।इनकी कोई काट नही होती कारण इनकी सारी रचनाएं खुद इनकी ही होती हैं जो दूसरे के पास नहीं हो सकती।और ये सर्व समर्थ धीरे-धीरे अपने आप को ईश्वर के समकक्ष बैठा लेते हैं।
फिर ज्योतिष, कर्मकाण्ड, तन्त्र, मन्त्र, यन्त्र आदि सभी विधाएं इनकी मुट्ठी में होती हैं।जो इनके प्रभाव में आ जाता है, वो इनमें और ईश्वर में भेद नहीं समझता है अर्थात इन्ही को ईश्वर मानने लगता है।

बुधवार, 25 जुलाई 2018

27 जुलाई 2018 गुरु पूर्णिमा पर चन्द्र ग्रहण lunar eclipse

27 जुलाई 2018
गुरु पूर्णिमा पर रहेगा खग्रास चंद्रग्रहण
Guru Purnima will remain on Khagrassa lunar eclipse

27 july 2018 शुक्रवार  दोपहर 02:54 PM से  सूतक शुरू हो जाएगा।

अतः इस समय तक गुरु ,व्यास पूजन कर लें।मन्दिर के पट भी इस समय बन्द हो जाएंगे। गुरु भी ध्यान, जप, तप, साधना आदि में लीन हो जाएंगे।

ग्रहण उत्तराषाढ़ और श्रवण नक्षत्र तथा मकर राशि में होगा। यह  खग्रास चंद्रग्रहण  पूरे देश में दिखाई देगा।

चंद्रग्रहण शुरू होने के तीन प्रहर अर्थात 9 घंटे पहले ग्रहण का सूतक काल शुरू हो जाता है। यह दोपहर बाद से ग्रहण समाप्ति के बाद तक रहेगा।

 ग्रहण के दौरान प्रतिमा स्पर्श, पूजा पाठ के साथ भोजन और शयन करना वर्जित माना गया है।

●चंद्र ग्रहण और सूतक का समय●

चंद्र ग्रहण का समय: 27 जुलाई 2018 रात्रि 11.54.26 PM से 28 जुलाई रात्रि 03.48.59 AM* बजे तक.

चंद्रग्रहण की कुल अवधि: 03 घंटे 54 मिनट 33 सेकेंड

सूतक काल प्रारंभ: 27 जुलाई, शुक्रवार दोपहर *02.54.00PM* बजे

ग्रहण में क्या करें, क्या न करें?

● चन्द्रग्रहण और सूर्यग्रहण के समय संयम रखकर जप-ध्यान करने से कई गुना फल होता है।

●सूर्यग्रहण में ग्रहण चार प्रहर (12 घंटे) पूर्व और चन्द्र ग्रहण में तीन प्रहर (9) घंटे पूर्व भोजन नहीं करना चाहिए। बूढ़े, बालक और रोगी डेढ़ प्रहर (साढ़े चार घंटे) पूर्व तक खा सकते हैं।

● ग्रहण-वेध के पहले जिन पदार्थों में कुश या तुलसी की पत्तियाँ डाल दी जाती हैं, वे पदार्थ दूषित नहीं होते। पके हुए अन्न का त्याग करके उसे गाय, कुत्ते को डालकर नया भोजन बनाना चाहिए।

● ग्रहण वेध के प्रारम्भ में तिल या कुश मिश्रित जल का उपयोग भी अत्यावश्यक परिस्थिति में ही करना चाहिए और ग्रहण शुरू होने से अंत तक अन्न या जल नहीं लेना चाहिए।

● ग्रहण के स्पर्श के समय स्नान, मध्य के समय होम, देव-पूजन और श्राद्ध तथा अंत में सचैल (वस्त्रसहित) स्नान करना चाहिए। स्त्रियाँ सिर धोये बिना भी स्नान कर सकती हैं।

● ग्रहण पूरा होने पर सूर्य या चन्द्र, जिसका ग्रहण हो उसका जल में शुद्ध बिम्ब देखकर भोजन करना चाहिए।

● ग्रहणकाल में स्पर्श किये हुए वस्त्र आदि की शुद्धि हेतु बाद में उसे धो देना चाहिए तथा स्वयं भी वस्त्रसहित स्नान करना चाहिए।

● ग्रहण के समय गायों को घास, पक्षियों को अन्न, जरूरतमंदों को वस्त्रदान से अनेक गुना पुण्य प्राप्त होता है।

● ग्रहण के दिन पत्ते, तिनके, लकड़ी और फूल नहीं तोड़ने चाहिए। बाल तथा वस्त्र नहीं निचोड़ने चाहिए व दंतधावन नहीं करना चाहिए।

● ग्रहण के समय ताला खोलना, सोना, मल-मूत्र का त्याग, मैथुन और भोजन – ये सब कार्य वर्जित हैं।

● ग्रहण के समय कोई भी शुभ व नया कार्य शुरू नहीं करना चाहिए।

● गर्भवती महिला को ग्रहण के समय विशेष सावधान रहना चाहिए। तीन दिन या एक दिन उपवास करके स्नान दानादि का ग्रहण में महाफल है, किन्तु संतानयुक्त गृहस्थ को ग्रहण और संक्रान्ति के दिन उपवास नहीं करना चाहिए।

● भगवान वेदव्यासजी ने परम हितकारी वचन कहे हैं- सामान्य दिन से चन्द्रग्रहण में किया गया पुण्यकर्म (जप, ध्यान, दान आदि) एक लाख गुना और सूर्यग्रहण में दस लाख गुना फलदायी होता है। यदि गंगाजल पास में हो तो चन्द्रग्रहण में एक करोड़ गुना और सूर्यग्रहण में दस करोड़ गुना फलदायी होता है।

● ग्रहण के समय गुरुमंत्र, इष्टमंत्र अथवा भगवन्नाम-जप अवश्य करें, न करने से मंत्र को मलिनता प्राप्त होती है। ग्रहण के अवसर पर दूसरे का अन्न खाने से बारह वर्षों का एकत्र किया हुआ सब पुण्य नष्ट हो जाता है।

● भूकंप एवं ग्रहण के अवसर पर पृथ्वी को खोदना नहीं चाहिए।

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मंगलवार, 24 जुलाई 2018

Welcome Note स्वागत लेख

दोस्तों webpandithindi की दुनिया में आपका स्वागत है।

वेब पण्डित के माध्यम से मैं आपको पाण्डित्य के नए रूप से परिचित कराना चाहूँगा, आशा है आप सबका सहयोग और आशीर्वाद मिलता रहेगा,तथा आप अपने विचार और अनुभव के माध्यम से मेरा मार्गदर्शन(Guidance) करते रहेंगे।

webpandithindi के माध्यम से आपको एक ऐसे सलाहकार(counsaltent),प्रेरणाश्रोत(motivational),माध्यम से मिलाना चाह रहा हूँ, जिसकी हम हमेशा खोज करते रहते हैं।
कभी किसी ज्योतिषी(astrologer) के रूप में तो कभी किसी कर्मकाण्डी(karmakand),या ईश्वर के कृपापात्र किसी व्यक्ति(person) की,या किसी तांत्रिक(Tantrik) की जो चुटकी बजाते हमारी सभी समस्याओं का समाधान कर दें।जिसे हम अपना सबसे विश्वसनीय(Reliable) समझकर अपनी सारी बातें कह सकें।
परन्तु ऐसा नही होता है,हमे बहुत देर बाद में पता चलता है कि हम ठगे गए।हमारे साथ ऐसा क्यों हुआ हम समझ नही पाते और किसी से कह भी नही पाते।
आपका क्या विचार है?
क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है?
या आपने कभी समझने की कोशिश की?
या आप एक अन्ध-भक्त की तरह लगे हुए हैं?
आपको खुद पता नही है क्यों?
क्या कारण हो सकता है? कि समस्याएं (Issues) आपकी और आप खुद दूसरों के विचारों (Views of others) पर चल रहे हैं।

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चित्त या मानसिक अवस्था के रूप


आपको आश्चर्य होगा लेकिन खुद अपने अनुभवों Experiences) के आधार पर मैं यह कह रहा हूँ।
आप माने या न माने लेकिन जीवन (life) में ज्यादातर (mostly) समस्याएं होती ही नही है, यह जीवन चक्र का अपना ढंग (method) होता है, जिसे हम अक्सर समस्या मान लेते हैं और गुरुवों के पास चक्कर काटने लगते हैं।

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